अस्कोट वन्यजीव अभयारण्य में जल्द पर्यटन गतिविधियां शुरू की जाएंगी। 600 वर्ग किमी में फैले इस अभ्यारण्य में मौजूद तितली, पक्षी, वनस्पति, दुर्लभ काले बंदर आदि को चिह्नित किया जाएगा। इसके साथ ही पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए छिपला केदार ट्रैकिंग रूट को भी विकसित किया जाएगा। पिथौरागढ़ वन विभाग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। दो साल में अस्कोट वन्यजीव अभयारण्य को विकसित करने की कार्य पूरा कर लिया जाएगा जिसका मुख्य उद्देश्य सीमांत में पर्यटन गतिविधियां बढ़ाना है।
अस्कोट वन्यजीव अभयारण्य 12 वनखंडों में 600 वर्ग किमी तक फैला है। इसमें 290.914 वर्ग किमी आरक्षित और 309.086 वर्ग किमी वन पंचायतें और अवर्गीकृत सिविल वन हैं। अस्कोट वन्यजीव अभयारण्य में दुर्लभ लुप्तप्राय वन्यजीव पाए जाते हैं। यहां करीब पौधों की 2600 प्रजातियां, पक्षियों की 250, स्तनधारियों की 37 प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें मुख्य रूप से हिम तेंदुआ, हिमालयन काला भालू, काला बंदर, कस्तूरी मृग, हिमालयन थार, ब्लू भेड़ पाए जाते हैं। यहां तेंदुआ लंगूर, मोनाल, कलीज फीजेंट, चीर फीजेंट समेत तितलियों की कई प्रजातियां भी पाई जाती हैं। कई प्राकृतिक जल सरोवर, झरने हैं।
पिथौरागढ़ वन विभाग और जिला प्रशासन अभयारण्य में पर्यटन गतिविधियां बढ़ाने की तैयारी शुरू कर रहा है। इसमें पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए नये ट्रैकिंग रूटों का निर्माण और पुराने ट्रैकिंग रूटों को ठीक करने का कार्य भी करेगा। अभयारण्य में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए दुर्लभ वन्यजीव, संकटग्रस्त वन्यजीव, तितलियों, पक्षियों को चिह्नित कर प्रचार-प्रसार किया जाएगा। इससे पर्यटक दुर्लभ वन्यजीवों को देखने के लिए अस्कोट अभयारण्य आएंगे। अभयारण्य में स्थित ओम पर्वत, आदि कैलाश, पार्वती कुंड तक सड़क पहुंचने के बाद बड़ी संख्या में पर्यटक आ रहे हैं। इन पर्यटकों को जल्द पर्यटकों से अछूते हिस्सों से रूबरू कराया जाएगा।
1500 फुट की ऊंचाई पर स्थित ट्रैकिंग रूट को भी किया जाएगा विकसित
पिथौरागढ़। अस्कोट वन्यजीव अभयारण्य में पर्यटन गतिविधियां बढ़ाने के लिए 1500 फुट की ऊंचाई पर स्थित ट्रैकिंग रूटों को भी विकसित किया जाएगा। साथ ही ट्रैकिंग में जाने वाले पर्यटकों को सुविधाएं भी प्रदान की जाएंगी। इससे पर्यटकों को ट्रैकिंग आदि में दिक्कत न हो। छिपलाकेदार धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यहां प्रतिवर्ष पूजा-पाठ के लिए बड़ी संख्या में लोग जाते हैं।
अस्कोट वन्यजीव अभयारण्य है जड़ी बूटियों का बैंक
पिथौरागढ़। अस्कोट वन्यजीव अभयारण्य जड़ी बूटी का बैंक है। यहां थुनेर, आंवला, बहेड़ा, हरड़, यारसा गंबू (कीड़ा-जड़ी), सालमपंजा, कुटकी, कूट, जटामासी, काकोली, सतुआ, कपूर, कचरी, सालममिश्री, बालजड़ी, समेवा, बनक्षा, गुग्गल धूप, चिप्पी, डोलू, अतीस, जंबू, किलमोड़ा, चूक दाड़िम, घिंघारू, वन मड़वा सहित कई जड़ी बूटियां पाई जाती हैं।
अस्कोट वन्यजीव अभयारण्य को विकसित किया जाएगा। अभयारण्य में चिड़िया, तितली, वनस्पति आदि की कितनी प्रजातियां पाई जाती हैं। उनको चिह्नित किया जाएगा। पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए ट्रैकिंग रूटों को भी विकसित किया जाएगा। – कोको रोसे, डीएफओ, पिथौरागढ़ वन प्रभाग।