पिथौरागढ़ युवाओं का बागवानी की ओर रुझान बढ़ा है। युवा बंजर खेतों में सेब, संतरा, नींबू, लीची, आम और कीवी के पौधे लगाकर बागान विकसित कर रहे हैं। युवाओं के बागवानी के प्रति आकर्षण से पलायन के कारण बंजर हो रही पहाड़ की जमीन के फिर से आबाद होने की उम्मीद है।
पिथौरागढ़ की जलवायु संतरा, नींबू, माल्टा, आम, अमरूद, लीची, सेब और कीवी के लिए मुफीद है। जिले के ऊंचाई वाले इलाकों में संतरा और सेब तो घाटी वाले क्षेत्र मुवानी घाटी से लेकर क्वीटी तक आम और लीची का अच्छा उत्पादन होता है। हाल के वर्षों में युवाओं का बागवानी के प्रति रुझान बढ़ा है। युवाओं की सबसे अधिक दिलचस्पी सेब और कीवी की खेती की ओर है। बागवानी की दिशा में प्रयास करने वाले युवाओं के लिए उद्यान विभाग की योजनाएं सहायक बन रहीं हैं। उद्यान विभाग विभिन्न योजनाओं के तहत किसानों को मुफ्त या आधे मूल्य पर पौध उपलब्ध करा रहा है। उद्यान विभाग के सहयोग से धारचूला में सेब के दो और बेड़ीनाग तथा गंगोलीहाट में छह-छह बागान तैयार किए गए हैं। यह बागान 0.02 हेक्टेअर से 0.20 हेक्टेअर क्षेत्रफल में हैं। पिथौरागढ़ के ह्यूंपानी निवासी मनोज खड़ायत का सेब का बागान है। एक दशक में अपने प्रयासों से गाला सहित विभिन्न डेलिसस प्रजाति के सेब का बागान तैयार करने वाले मनोज क्षेत्र के पहले युवा हैं।