पिथौरागढ़. उत्तराखंड का पिथौरागढ़ जिला हिमालय से लगा हुआ चीन और नेपाल बॉर्डर पर अंतिम जिला है. यहां के कई गांव बॉर्डर पर बसे हुए हैं, जो बेहद खूबसूरत हैं. यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. यहां मौजूद ग्लेशियर, नदियां, झरने पर्यटकों को खूब पसंद आते हैं लेकिन इन जगहों पर संसाधनों की कमी से पर्यटक यहां ज्यादा नहीं रुक पाते है. पर्यटकों की ना रुकने की सबसे बड़ी वजह है यहां संचार व्यवस्था का ना होना, जिससे पर्यटकों के साथ यहां के स्थानीय निवासियों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
एक तरफ जहां देश में 5G सेवा शुरू हो रही है, वहीं यहां के निवासी संचार के लिए नेपाल के सिम के भरोसे है जो अपने ही देश में अंतरराष्ट्रीय रोमिंग का भुगतान करते है और पर्यटकों की बात की जाए, तो पर्यटक ऐसी जगहों पर कम ही आना पसंद करते है, जहां उन्हें नेटवर्क न हो .
4-जी सेवा का मिलेगा लाभ
पिथौरागढ़ के ऐसे इलाकों को लंबे समय से नेटवर्क से जोड़ने के लिए स्थानीय प्रशासन प्रयास कर रहा है. यहां अब पहले चरण में बीएसएनएल के 63 मोबाइल टॉवर लगाए जा रहे है, जिसके बाद पिथौरागढ़ के बॉर्डर इलाके 4-जी सेवाओं से जुड़ जाएगा . जिसके बाद यहां आने वाले पर्यटक आसानी से वर्क फ्रॉम होम सुविधा का लाभ खूबसूरत नजारों के बीच मिल पाएगा .
भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया हुई पूरी
पिथौरागढ़ की जिलाधिकारी रीना जोशी ने जानकारी देते हुए बताया कि पिथौरागढ़ के बॉर्डर इलाकों में टॉवर लगाने के लिए भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया हो चुकी है. एक साल के भीतर यहां बीएसएनएल 63 मोबाइल टॉवर लगाने जा रहा है. अगले कुछ महीनों में कुछ गांवों में संचार सेवा शुरू कर दी जाएगी.