बंगापानी (पिथौरागढ़)। गर्मियों का सीजन शुरू होते ही मेतली के ग्रामीण ध्वस्त पेयजल लाइन को खुद ही ठीक करने में जुट गए। उन्होंने जगह-जगह क्षतिग्रस्त लाइन को दुरुस्त कर खुद के लिए पानी की व्यवस्था की।
पानी नहीं आने पर अक्सर लोग जल संस्थान के कर्मियों का इंतजार करते हैं लेकिन बंगापानी तहसील के मेतली तोक के देवलेख, भटबटा, कुमरिया गैर तोक के लोगों ने ऐसा नहीं किया। वह खुद के लिए पानी की व्यवस्था करने में जुटे हैं। इन गांवों में 70 परिवारों के करीब 350 लोग रहते हैं। साथ ही मवेशी भी हैं।
गांव में पानी की आपूर्ति के लिए वर्षों पुरानी पेयजल योजना है जो हर साल आने वाली आपदा में ध्वस्त होती रहती है। इस योजना में कई जगहों पर प्लास्टिक के पाइप भी लगे हैं। लाइन जगह-जगह क्षतिग्रस्त होने से ग्रामीणों को पेयजल के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अब गर्मी का सीजन शुरू हो रहा है। साथ ही गांव में पेयजल संकट भी गहराने लगा है। इसे देखते हुए ग्रामीणों ने खुद ही क्षतिग्रस्त पेयजल योजना को ठीक करने का बीड़ा उठाया।
इन तोकों के कई महिला-पुरुष पांच किमी से अधिक की दूरी तय कर मूल स्रोत तक पहुंचे। कुछ लोगों ने स्रोत की अच्छी तरह सफाई की तो अन्य लोगों ने प्लास्टिक एवं रबर से टूटे पाइप लाइनों को मजबूती से बांधकर गांव तक सुरक्षित पानी पहुंचाया।
बता दें कि मेतली ग्राम सभा के यह तोक सड़क से सात-आठ किमी दूर हैं। ग्रामीणों को आवागमन के साथ ही पानी की समस्या से भी जूझना पड़ रहा है। इस दौरान भटबटा के कुंवर सिंह, देवलेख के सुंदर सिंह, भूपेंद्र सिंह परिहार, लक्ष्मण सिंह, जगत सिंह बिष्ट, मथुरा देवी आदि मौजूद थे।