उत्तराखंड में सरकारी स्कूलों में किताबें में बांटने में हुई देरी को गंभीरता से लेते हुए शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने 600 से ज्यादा अधिकारी-कार्मिकों के वेतन पर रोक लगा दी। खुद को भी नैतिक रूप से जिम्मेदार मानते हुए खुद तिवारी ने भी सभी छात्रों को किताब न मिलने तक वेतन नहीं लेने का निर्णय किया है।
ब्लॉकवार शतप्रतिशत किताब वितरण का प्रमाणपत्र देने पर ही वेतन जारी किया जाएगा। यह पहला मौका है जबकि शिक्षा विभाग इस इतने बड़े पैमाने पर कार्रवाई की गई है। महानिदेशक ने ‘हिन्दुस्तान’ को बताया कि कि सभी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जहां जहां किताबें नहीं बंट पाई हैं, वहां छुट्टियों के दौरान भी घर घर जाकर किताबें मुहैया कराई जाएं।
इसके लिए एक हफ्ते का वक्त मुकर्रर किया गया है। बेसिक और माध्यमिक शिक्षा निदेशकों से किताबों के समय पर न बंटने के लिए जिम्मेदार अफसर-कार्मिकों की सूची सोमवार तक मुहैया कराने के निर्देश भी दिए हैं। मालूम हो कि आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ ने आज के अंक में किताब वितरण में की गई लापरवाही पर प्रमुखता से रिपेार्ट प्रकाशित की है।
अप्रैल के पहले हफ्ते तक किताबें मुहैया कराने के दावे के बावजूद आज तक शिक्षा विभाग शतपतिशत छात्रों को किताबें नहीं दे पाया। यह बात दीगर है कि महानिदेशक की अध्यक्षता में 17 मई को हुई बैठक में अधिकांश अधिकारियों ने दावा किया था कि वो शतप्रतिशत किताबें बंटवा चुके हैं।
हाल में विभिन्न जिलों में हुए मुआयनों में अधिकारियों के किताब वितरण के दावे हवाई साबित हुए। आज हिन्दुस्तान की खबर का संज्ञान लेते हुए महानिदेशक ने सुबह सुबह ही अधिकारियों के वाट्सअप ग्रुप में तीन बिंदुओं पर कार्रवाई का आदेश जारी कर दिया। साथ ही शाम को चार बजे वर्चुअल बैठक भी बुला ली।
बैठक में महानिदेशक ने किताबें का वितरण समय पर न होने के लिए कड़ी नाराजगी जाहिर की। कहा कि प्रत्येक छात्रों को किताबें मुहैया कराना सीईओ की व्यक्तिगत जिम्मेदारी होगी। किताब वितरण से जुड़े बेसिक, माध्यमिक शिक्षा निदेशक समेत सभी अफसर और जिला और ब्लॉकवार कार्मिकों का वेतन पुस्तक वितरण पूरा होने तक रुका रहेगा।