पिथौरागढ़ जनपद की गंगोलीहाट तहसील के रावल गांव मे स्थापित माँ हाट कालिका माता का मंदिर श्रद्बालु के लिए अटूट आस्था का प्रतीक है। मान्यता है कि यंहा सच्चे भाव से जो भी आता है अपनी मनोकामना लेकर वो अवश्य पूरी होती है। यूं तो वर्ष भर यंहा भक्त दर्शन के लिए आते है, पर नवरात्रि मे अत्यधिक भक्तों का यंहा आगमन होता है। उत्तराखंड ही नहीं अन्य प्रदेशों के भक्त भी यंहा पहुंचते है। माँ हाट कालिका माता को सेना की कुमाऊं रेजिमेंट अपनी आराध्य देवी मानती है। कहा जाता है बहुत पहले कुमाऊं रेजिमेंट की एक यूनिट समुद्र मार्ग से कहीं जा रही थी। समुद्री तूफान आने से जहाज डूबने लगा तो जहाज मे सवार कुमाऊं रेजिमेंट के जवानों ने माँ महाकाली को पुकारा। कहा जाता है उसके बाद जहाज समुद्र तट तक सकुशल पहुंच गया, तब से यंहा पर कुमाऊं रेजिमेंट मंदिर की देखरेख करने के साथ रेजिमेंट के कुछ जवान माँ की सेवा मे नियमित रुप से रहते है। कुमाऊं रेजिमेंट ने यंहा पर अन्य सुविधाएं उपल्बध कराने के साथ यंहा पर गेस्ट हाउस भी बनाया है। जंहा भक्तों को रात्रि विश्राम की सुविधा मिलती है। मान्यता हे कि मंदिर के अंदर रात्रि भोज के बाद माता का शयनकक्ष मे बिस्तर लगाया जाता है, मुख्य द्बार मे ताले रात्रि को लगाए जाते है और सुबह की आरती के समय जब पुजारी मंदिर के कपाट खोलते हैं तो बिस्तर सिमटा मिलता है। यह प्रतिदिन देखा जा सकता है। कहा जाता है माता प्रतिदिन मंदिर मे आती है। पुजारी दुर्गा दत्त ने बताया नवरात्रि मे महाकाली के दस दिन महाव्रत रखते है जो भी भक्त यंहा आता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। सब के ऊपर छाया छत्र करती है माँ भगवती की कृपा सब पर बनी रहे।
गिरीश चंद्र जोशी भिवाड़ी राजस्थान से आए भक्त ने बताया माता की असीम अनुकंपा है। माता मुझे बुलाती है, जब- जब मुझे समय मिलता है मै यंहा आता हूँ। यंहा आने से बढ़ी आत्मिक शांति मिलती है, जो भी कार्य यंहा किया जाता है श्रद्बानुसार किया जाता है। भक्त सोरभ जोशी ने बताया दरअसल मैय्या की महिमा काफी निराली है यंहा पर काफी लोग नवरात्रि मे यंहा दूर- दूर से आते है। श्रद्धा से काफी लोग जुड़े हुए है मंदिर से नवरात्रि मे मैय्या का एक दिन निर्धारित किया गया है। वैसे तो कोई दिन निर्धारित नहीं है मैय्या का, लेकिन नवरात्रि मे मैय्या का विशेष रुप से पूजन किया जाता है। मैय्या की महिमा देख ही सकते है।