पिथौरागढ़. एक तरफ जहां लाखों युवाओं को नौकरी का इंतजार है, तो वहीं दूसरी तरफ कुछ युवा स्वरोजगार को भी चुन रहे हैं. कई ऐसे स्टार्टअप है जो आज काफी सफल भी हुए हैं. मैदानों के बाद अब पहाड़ों के भी पढ़े-लिखे नौजवान स्टार्टअप की राह देख रहे हैं. हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले की, जहां इन दिनों बीएड कुल्चे वाले ने खूब चर्चा बटोरी है. मैदानों में छोले-कुल्चे आसानी से मिल जाते हैं, लेकिन पिथौरागढ़ में सिर्फ यहीं आपको छोले-कुल्चे का स्वाद मिलेगा.
पिथौरागढ़ के ही निवासी प्रशांत ने यह स्टार्टअप शुरू किया है. बातचीत में प्रशांत बताते हैं कि उत्तराखंड में बेरोजगारी चरम पर है, ऐसे में सभी को नौकरी मिल पाए ये संभव नहीं है. इसलिए बीएड करने के बाद उन्होंने अपना ही व्यवसाय शुरू करने की सोची और बीएड कुल्चे वाला नाम से कुमौड़ बैंड के पास एक ठेले से इसकी शुरुआत की है.
प्रशांत बताते हैं कि वह पिथौरागढ़ में रहकर ही रोजगार करना चाहते हैं और यहां प्राइवेट नौकरी के विकल्प कम ही हैं. जबकि सरकारी नौकरी ही सभी की एक उम्मीद होती है, जिसमें आ रही कठिनाइयों के बाद अपना ही स्वरोजगार उन्होंने शुरू किया. उनका कहना है कि शुरुआत में सभी ने उन्हें बहुत ताने मारे ,लेकिन सभी को अनदेखा करते हुए उन्होंने इस काम को जारी रखा हुआ है.
बीएड कुल्चे वाला के पास छोले-कुल्चे का स्वाद लेने आए तमाम लोगों ने कहा कि उन्हें यहां का टेस्ट काफी पसंद आया. प्रशांत बेहद साफ सफाई से सब तैयार कर रहे हैं. इस तरह का काम करने वाले युवाओं को प्रोत्साहित करना चाहिए. अक्सर देखा जाता है कि पहाड़ के युवा रोजगार की तलाश में अन्य शहरों में जाते हैं और बाहर के व्यक्ति पिथौरागढ़ में आकर अपना बढ़िया रोजगार कमा रहे हैं, अगर युवा इस तरह के स्टार्टअप अपनाए तो निश्चित ही उन्हें अन्य जगह जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और अपने जिले में रहकर ही वह बढ़िया रोजगार कर सकते हैं, जिसका उदाहरण प्रशांत ने पेश किया है.