पिथौरागढ़ में लंबे समय से विवादों में रहा नन्हीं परी सीमांत इंजीनियरिंग कॉलेज अब मड़धूरा में ही संचालित होगा। जल्द भवन के सुरक्षात्मक कार्य शुरू हो जाएंगे। इस बात की पुष्टि तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति ओंकार सिंह और डीएम रीना जोशी ने की है। कॉलेज का निर्माण करने वाली कार्यदायी संस्था यूपी निर्माण निगम से सरकार अनियमितता की वसूली भी करेगी।
पिथौरागढ़ से 10 किमी दूर मड़धूरा में 14.5 करोड़ रुपये खर्च कर नन्हीं परी सीमांत इंजीनियरिंग कॉलेज का निर्माण किया गया है। भवन के पिछले हिस्से में सुरक्षात्मक कार्य नहीं किए गए। इस वजह से लगातार भूस्खलन होने से इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रथम तल में मलबा घुस गया था। कुछ समय यहां कक्षाओं के संचालन के बाद इसे केएनयू जीआईसी में शिफ्ट कर दिया था। लोगों का कहना है कि मड़धूरा में ही सीमांत इंजीनियरिंग कॉलेज का संचालन होना चाहिए क्योंकि इस स्थान पर सरकार ने 14.5 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इस मामले को अमर उजाला ने प्रमुखता से उठाया था। खबर प्रकाशित होने के बाद उच्च न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लेते हुए प्रशासन से रिपोर्ट मांगी थी। पिथौरागढ़ के सीमांत इंजीनियरिंग का मामला हाईकोर्ट भी चल रहा है। अब तक इस मामले में सुनवाई नहीं हुई है। हाईकोर्ट ने खबर का स्वत: ही संज्ञान लेते हुए सरकार से जवाब मांगा था। कोर्ट ने सरकार और डीएम से इसकी पूरी रिपोर्ट मांगी थी। शासन ने इसकी जांच के लिए डीएम की अध्यक्षता में कमेटी का गठन भी किया था।