थल (पिथौरागढ़)। थल कस्बा वर्ष 1996 से डीडीहाट और बेड़ीनाग की दो विकासखंड के बीच झूल रहा है। दो तहसीलों में बंट चुके लोग अब थल को विकासखंड बनाने की मांग कर रहे हैं। जोग्यूड़ा थल की ओर रामगंगा नदी के वार के समस्त गांव बेड़ीनाग, रामगंगा नदी के पार की तरफ थल के सत्यालगांव के सभी गांव डीडीहाट विकासखंड में शामिल हैं जबकि वर्ष 1990 से पूर्व पूरा कस्बा डीडीहाट विकासखंड के तहत आता था।
बेड़ीनाग विकासखंड में आने वाले जोग्यूड़ा थल, उपराड़ा पाठक (आंशिक), भट्टीगांव, आमथल, सिल्दों, कोटगाड़ी के छह राजस्व पट्टी, डीडीहाट के तहत आने वाले थल के सत्यालगांव, चोपड़ा राजस्व पट्टी को शामिल कर वर्ष 2015 में थल तहसील अस्तित्व में आई थी। तहसील तो एक हो गई लेकिन अब भी विकासखंड अलग होने से थल वासियों को दो विकासखंडों में पांव रखकर दौड़ लगानी पड़ रही है।
गणेश दत्त भट्ट ने बताया कि व्यापारिक सांस्कृतिक, पौराणिक कस्बा होने से यहां वर्ष 1952 से विकासखंड (छाया ब्लॉक) की स्थापना हुई थी जो वर्ष 1962 के बाद अन्यत्र स्थानांतरित कर दी गई। तब से लगातार थल में विकासखंड की मांग की जा रही है। करीब 25 हजार की आबादी वाले थल तहसील में विकासखंड न होने से आधे ग्रामीणों को डीडीहाट और आधे सुदूरवर्ती ग्रामीणों को अपने अपने काम के लिए बेड़ीनाग के चक्कर लगाने पड़ते हैं।गणेश दत्त भट्ट ने बताया कि थल पिथौरागढ़ जिले का मुख्य पौराणिक कस्बा है। अल्मोड़ा जिले में रहते यहां लगने वाले थल मेले में डीएम पेंशन बांटने आते थे। थल अंग्रेजों की मुख्य चौकी भी रही है। आवागमन की सुविधा, पौराणिक, व्यापारिक, धार्मिक केंद्र होने से महत्व के आधार पर सरकार को यहां शीघ्र विकासखंड की स्थापना करनी चाहिए। इतना बड़ा क्षेत्र होने के कारण यहां परगना भी शीघ्र खुलना चाहिए। इससे सभी ग्रामीणों को सुविधा मिल सके।
गंगा सिंह मेहता ने बताया कि पृथक राज्य गठन की परिकल्पना ही छोटी-छोटी इकाई खोलकर दूरस्थ क्षेत्रों तक विकास पहुंचना है। जनाकांक्षा की पूर्ति के लिए राज्य सरकार को विकासखंड स्थापना के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजना चाहिए। थल के तहसीलदार को रजिस्ट्री बैनामा का अधिकार न मिलने से तीन महीने से लोगों को जमीन संबंधी कार्य के लिए 60 किमी दूर गंगोलीहाट तहसील में जाना पड़ रहा है। उनके अवकाश पर जाने से तीन माह से कार्य नहीं हो रहे हैं।