12/10/2022 पिथौरागढ़: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों ततैयों का आतंक है. कुछ दिन पहले ततैयों के हमले से एक व्यक्ति की मौत हो चुकी है. चिंताजनक बात यह है कि ततैयों के काटे के इलाज के लिए जब जिला अस्पताल के डॉक्टरों से जानकारी ली गई, तो मालूम पड़ा कि जिले में ततैयों के जहर के इलाज की दवा एंटी वेनम ही उपलब्ध नहीं है. इसके इलाज के लिए मरीज को पिथौरागढ़ मुख्यालय से करीब 240 किलोमीटर दूर नैनीताल जिले के हल्द्वानी शहर में रेफर किया जाता है.
पिथौरागढ़ जिला अस्पताल के फिजिशियन डॉ एसएस कुंवर ने बताया कि ततैयों के हमलों के सैकड़ों केस उन्होंने यहां देखे हैं, जिनमें से कई लोगों की मौत भी हो चुकी है. ततैयों का जहर सीधे किडनी पर असर करता है और किडनी फेल हो जाने पर पीड़ित की मौत हो जाती है. उन्होंने कहा कि इसके जहर से लड़ने के लिए शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होनी चाहिए. ऐसा न होने की स्थिति में ही पीड़ित को जान से हाथ धोना पड़ता है. यहां अस्पताल में मरीज को सामान्य स्थिति में लाने के प्रयास खूब किए जाते हैं और हालत गंभीर होने पर मरीज को हल्द्वानी रेफर किया जाता है.
पिथौरागढ़ में देखा जाए तो पहले भी मौत का कारण बने ततैयों से बचाव के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए. अब तक वन विभाग के पास भी बचाव की कोई योजना नहीं है और न ही ऐसे कोई उपकरण जिससे ततैयों के छत्ते नष्ट किए जा सकें. यह वजह भी रही कि हाल में ही हुई एक ग्रामीण की मौत के लिए लोगों ने वन विभाग को जिम्मेदार बताया.
ग्रामीणों का कहना था कि उन्होंने खतरे को देखते हुए कई बार वन विभाग को ततैयों से बचाव के उपाय करने का आग्रह किया, लेकिन विभाग के पास कोई प्लान न होने से एक व्यक्ति को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. इस मामले में वन विभाग के अधिकारियों से सवाल किया गया, तो उन्होंने बताया है कि ततैयों से सुरक्षा के लिए अब टीम बनाई जा रही है और साथ ही ऐसे उपकरण भी मंगाए जा रहे हैं, जिससे ततैया के छत्तों को नष्ट किया जा सके.