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उत्तराखण्डः राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण द्वारा International Conclave on use of Advance Technologies in Disaster Management विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित

News Desk by News Desk
March 22, 2023
in अन्य, आपदा, उत्तराखण्ड
उत्तराखण्डः राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण द्वारा International Conclave on use of Advance Technologies in Disaster Management विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित
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देहरादून। उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण द्वारा International Conclave on use of Advance Technologies in Disaster Management विषय पर 21 एवं 22 मार्च को दो दिवसीय कार्यषाला का आयोजन किया गया। शा के द्वितीय दिवस में दो तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया। प्रथम सत्र जो कि जियो टारगेटेड सेल ब्राडकोस्टिंग पर आधारित था। जिसमें चार विभिन्न संस्थानों द्वारा अपना प्रस्तुतिकरण दिया गया।
प्रथम प्रस्तुतिकरण सी-डॉट के सौरभ बासु द्वारा दिया गया। श्री बासु ने कॉमल एलर्टिंग प्रोटोकॉल के माध्यम से किस प्रकार विभिन्न आपदाओं के पूर्वानुमान को जन सामान्य तक पहुंचाते हुए चेतावनी दी जाय व उनमें किन तथ्यों का समावेश किया जाए। सैल ब्राडकॉस्ट एवं लोकेशन बेस्ड एस.एम.एस. किस प्रकार कारगर हो सकते हैं तथा अन्य तकनीक जिसमें रेलवे, इसरो आदि के प्लेटफार्म का प्रयोग करते हुए सैल ब्राडकास्ट किया जा सकता है। यह अतिमहत्वपूर्ण है कि प्रत्येक सैल फोन उपभोक्ता इसे डिसेबल न कर पाये इस हेतु भारत सरकार द्वारा सैल फोन निर्माताओं को निर्देश भी दिए गए हैं।
द्वितीय प्रस्तुतिकरण सैलटैक के रॉनेन डैनियल द्वारा सैल ब्राडकॉस्ट एवं लोक चेतावनी तंत्र के विषय में बताया गया कि यह तकनीक वर्ष 2008 में अमरीका में प्रारंभ की गयी थी जो वर्तमान में यूरोप, दक्षिण एशिया के देशों में 4जी एवं 5जी तकनीकी के साथ प्रयोग की जा रही है। भारत में यह तकनीक आन्ध्र प्रदेश में प्रयोग मे लायी जा रही है। इस तकनीक के माध्यम से 1000 अलर्ट प्रतिदिन जारी किए जा सकते हैं। एवरब्रिज के मैनुवल कॉर्नेलिसे ने लोक चेतावनी तंत्र के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होंने बताया कि किस प्रकार से पूर्व चेतावनी के माध्यम से जन मानस को आपदा के प्रति प्रतिरोधक बनाया जा सकता है। इसमें यह विशेष ध्यान दिया जाना होगा कि यह चेतावनी औद्योगिम क्षेत्रों, विस्थापित जनसंख्या एवं पर्यटकों को दृष्टिगत रखते हुए तैयार की जाए, जिसका मुख्य उद्देष्य वााणिज्यिक, लोक प्रतिरोधकता, डिाजिटल ऑपरेषन, स्मार्ट सिक्योरटी एवं लोक सुरक्षा है।
ईवा एन्फोकॉम (नेलको) के क्षितिज गोयल द्वारा आपदा प्रबन्धन के दौरान अविरल संचार माध्यमों के विषय में जानकारी दी गयी। इस सम्बन्ध में उनके द्वारा बताया गया कि सैटेलाईट कनेक्टिविटी एक विष्वनीय माध्यम है, जिसमें वी-सैट, निजी नेटवर्क के माध्यम से सी.यू.जी., ए.पी.एन, (सिंगल/ड्यूल सिम) तथा विभिन्न प्रकार के सैटेलाईट जैसे एच.टी.एस., यू.एस.पी., साईरल अलर्ट इत्यादि प्रयोग किए जा सकते हैं। उत्तराखण्ड में कुल 9 स्थानों पर इस सैटेलाईट के माध्यम से साईरन अलर्ट स्टेषन स्थापित कि गए हैं। कार्यषाला के द्वितीय तकनकी सत्र जो कि ऑटोमेटेड इमरजेंसी अलर्ट साईरन पर आधारित था में कुल 04 प्रस्तुतिकरण दिए गए। प्रथम प्र्रस्तुतिकरण सोलर मरीन सर्विसेज के कामाण्डर राघव द्वारा किया गया। उन्होंने अपने प्रस्तुतिकरण में कोटेष्वर डैम में लगाए गए साईरन सिस्टम के बारे में जानकारी दी। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि सभी नदियों के सिंग्नलों को एकीकृत कर बेहतर अर्ली वार्निंग प्रदान की जा सकती है। इस सत्र के द्वितीय प्रस्तुतिकरण जैनेसिस के महेन्द्र प्रताप सिंह ने इमरजेंसी अर्ली वार्निंग सिस्टम एवं मॉस इवैकुवेषन सिस्टम के बारे में जानकारी दी। उन्होंने अपनी कंपनी द्वारा इस सम्बन्ध में विकसित किए गए सिस्टम की खूबिंयों के बारे मे बताया, जिसमें एस.आर.ए.डी. स्पीकर सिस्टम, जैम मोबाईल एप, मल्टी लैंग्वेज डिलीवरी एवं आग एवं बाढ़ के बारे में मॉडलिंग के माध्यम से पूर्वानुमान कैसे प्राप्त किया जाता है, के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की। इस सत्र के तृतीय प्रस्तुतिकरण लोटस वॉयरलैस टैक्निोलॉजी इण्डिया प्रा. लि. के हरदीप सिंह द्वारा फ्लड फोरकास्टिंग सिस्टम प्रोजेक्ट जो कि तपोवन विष्णुगाड हाईड्रो इलेक्ट्रिक पॉवर प्रोजेक्ट में लगाए गए फ्लड वार्निंग सिस्टम में बारे में अवगत कराया। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि धौली गंगा एवं अलकनंदा नदियों में 6 विलोसिटी एवं फ्लो सेंसर्स लगाए गए हैं जो रियल टाइम डाटा एकत्र कर बाढ़ के विषय में पूर्व चेतावनी प्रदान करने में सक्षम हैं। इस सत्र के अंतिम प्रस्तुतिकरण में सी.एम.एस. के पी.पी. विष्वनाथन ने अर्ली वार्निंग एवं डिजास्टर साफ्टवेयर श्यूट के बारे में विस्तृत प्रस्तुतिकरण दिया गया। इनका प्रस्तुतिकरण मुख्यतः वैदर फोरकॉसट, फ्लड एनालिसिस, भूकंप एनालिसिस, ड्राउट एनालिसिस एवं आकाषी बिजली आदि में अलर्ट एवं अलार्म सिस्टम में बारे में बताया। उन्होंने यह भी बताया कि उनके द्वारा केरल राज्य में यह सिस्टम सफलतापूर्वक स्थापित किया गया है जिसके अच्छे परिणाम प्राप्त हो रहे हैं। कायाषाला के अंतिम वैलीडैक्टरी सत्र को अध्यक्षता उत्तराखण्ड राज्य के मुख्य सचिव डा. एस.एस. सन्धू द्वारा की गयी। इस सत्र में डा. गिरीष जोषी द्वारा विगत दो दिनों में विभिन्न सत्रों में विभिन्न विषय पर दिए गए प्रस्तुतिकरण को संक्षेप में मुख्य सचिव महोदय को अवगत कराया। इसके उपरान्त सचिव, आपदा प्रबन्धन एवं पुनर्वास डा. रंजीत कुमार सिन्हा के द्वारा राज्य को भविष्य में आपदा से निपटने के लिए किस प्रकार तैयारी की जानी है उस दिषा में कैसे कार्य किया जाना है, के बारे में अवगत कराया। अंत में मुख्य सचिव डा. एस.एस. संधू ने सभी प्रतिभागियों एवं स्टेकहोल्ड़रों का इस कार्यषाला में अपने तकनीकी सुझावों को दिए जाने हेतु धन्यवाद दिया और अपेक्षा की कि न सिर्फ उत्तराखण्ड को इस कार्यषाला का लाभ मिलेगा अपितु समस्त हिमालयी राज्यों को भी इसका लाभ प्राप्त होगा। उन्होंने प्रदेष में भूस्खलन से सम्बन्धित उत्तराखण्ड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबन्धन केन्द्र की स्थापना के बारे में अवगत कराते हुए बताया कि यह केन्द्र न सिर्फ उत्तराखण्ड अपितु पूरे देष एवं विदेषों हेतु कार्य करने में सक्षम होगा। कार्यषाला के अंत में यू.एस.डी.एम.ए. के वित्त नियंत्रक डा. तंजीम अली में सभी उपस्थित स्टेकहोल्डरों, यू.एस.डी.एम.ए., यू.डी.आर.पी.-ए.एफ. एवं यू.एल.एम.एम.सी कोे इस कार्यषाला को सफल बनाने हेतु किए गए प्रयासों हेतु आभार व्यक्त किया। कार्यषाला में डा. एस.एस. संधू, मुख्य सचिव, उत्तराखण्ड, डा. रंजीत कुमार सिन्हा, सचिव आपदा प्रबन्धन, सविन बंसल, ए.सी.ई.ओ., डा. आनंद श्रीवास्तव, अपर सचिव, आपदा प्रबन्धन, डा. गिरीष चन्द्र जोषी, वरिष्ठ आपदा प्रबन्धन विषेषज्ञ, मौ. औबेदुल्लाह अंसारी, संयुक्त सी.ई.ओ., यू.एस.डी.एम.ए, डा. तंजीम अली, वित्त नियंत्रक, डा. पीयूश रौतेला, अधिषासी निदेषक, यू.एस.डी.एम.ए. के अतिरिक्त यू.डी.आर.पी. एवं यू.एल.एल.एम.सी. के अधिकारी एवं कर्मचारीगण उपस्थित रहे।

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