पिथौरागढ़. उत्तराखंड के सीमांत जिले पिथौरागढ़ में बेटियों का भविष्य सालों से अधर में लटका हुआ है. बेटियों को बेहतर शिक्षा देने के दावे पिथौरागढ़ जिले में फेल होते नजर आए हैं. जहां पर बेटियों को पढ़ाने के लिए शिक्षकों का लंबे समय से टोटा चल रहा है, जिससे महत्वपूर्ण विषयों में छात्राओं की पढ़ाई अधूरी रह जाती है.
विभाग ने रिक्त पदों पर किसी विद्यालयों में गेस्ट टीचर का विकल्प तो दिया है लेकिन वह गुणवत्ता वाली शिक्षा आज सीमांत की बेटियों को नहीं मिल पा रही है, जो शिक्षा के मंदिर में उन्हें मिलनी चाहिए. ग्रामीण इलाकों से बेटियां एक बेहतर भविष्य के सपने को लेकर पढ़ने स्कूल तो जा रही हैं, लेकिन वहां उन्हें शिक्षकों की कमी के चलते उनके हाथ निराशा ही लगते आई है.
16 बालिका स्कूलों में 194 शिक्षक
पिथौरागढ़ जिले में ‘बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ’ नारा भी पोस्टरों में ही सीमित होता हुआ दिखता है. सीमांत की बेटियों को पढ़ाई का बेहतर माहौल देने के लिए जिले में 16 बालिका विद्यालय खोले गए, जिसमें 11 इंटर कॉलेज तो 5 हाईस्कूल हैं और 1200 छात्राएं इन 16 स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करने पहुंचती हैं. जिनको पढ़ाने के लिए 235 शिक्षिकाओं के पद शासन द्वारा द्वारा स्वीकृत किए गए थे, लेकिन 194 पदों पर ही नियुक्ति हो पाई है. 41 पद पिछले कई सालों से रिक्त हैं, जिस कारण महत्वपूर्ण विषयों के शिक्षक न होने से बेटियों का भविष्य अंधेरे में ही है. स्कूलों में शिक्षिकाओं की नियुक्ति के लिए स्थानीय लोग आवाज भी उठाते आये हैं.
गेस्ट टीचर रखे जाएंगे
पिथौरागढ़ जिले के मुख्य शिक्षा अधिकारी जेएस जुकरिया ने शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए गेस्ट टीचरों की मदद लिए जाने की बात कही है. उन्होंने कहा कि अन्य टीचरों की भर्ती के लिए हमने निदेशालय को प्रस्ताव भेजा है. उम्मीद है कि जल्द शिक्षकों की नियुक्ति हो जाएगी.
भविष्य पर पड़ रहा बुरा असर
गौरतलब है कि सीमांत जनपद में सरकारी स्कूलों का स्तर अभी तक नही सुधर पाया है. हालात यह है कि सरकार को कम छात्र संख्या के कारण सरकारी स्कूल बंद भी करने पड़ रहे हैं. जिले में लंबे समय से शिक्षकों के पद भी रिक्त चल रहे हैं, तो वहीं कई विद्यालय अभी तक बिजली से वंचित हैं. ऐसे में सीमांत के सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे छात्र-छात्राओं को गुणवत्ता के साथ शिक्षा देने के सभी दावे फेल हो रहे हैं, जिसका सीधा इन ग्रामीण क्षेत्रों में पढ़ रहे छात्रों के भविष्य पर पड़ रहा है.