पिथौरागढ़: उत्तराखंड के सीमांत जिले पिथौरागढ़ के छात्रों को तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाने में मकसद से बनाया गया सीमांत इंजीनियरिंग कॉलेज निर्माण के बाद से ही विवादों में रहा है. इस बार फर्स्ट ईयर में अभी तक एडमिशन न होने के कारण यह फिर सुर्खियों में आ गया है. एडमिशन न होने की वजह इंजीनियरिंग कॉलेज का एआईसीटीई के नॉर्म्स को पूरा न किया जाना है. 2011 में शुरू हुआ सीमांत इंजीनियरिंग कॉलेज 2018 तक उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय के कैंपस के रूप में संचालित हो रहा था, लेकिन उसके बाद इस कॉलेज का अपना भवन बना लिए जाने के दावे के बाद इसे एआईसीटीई की मान्यता की जरूरत पड़ गई.
कॉलेज का भवन करोड़ों की लागत से मदधुरा में बनकर तैयार भी हो गया, उसके बाद इसमें खामियां नजर आने लगीं और फिर से इंजीनियरिंग कॉलेज के अपने भवन का मामला लटक गया. निर्माण के बाद से ही सीमांत का इंजीनियरिंग कॉलेज सफेद हाथी बनकर रह गया है, जिससे यहां पढ़ने वाले छात्रों को वो सब सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं, जो एक इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों को मिलनी चाहिए. एडमिशन न होने के संबंध में कॉलेज के डायरेक्टर जिलाधिकारी डॉ आशीष चौहान से इस विषय पर जब जानकारी मांगी गई, तो उन्होंने जल्द एडमिशन हो जाने की बात कही.
अव्यवस्था का शिकार!
सीमांत इंजीनियरिंग कॉलेज आज बदहाली के आंसू रो रहा है. यहां पांच ब्रांचों में पढ़ाई होती है, जिसमें 300 छात्रों के लिए सीट है. इस बार एडमिशन न होने के कारण इस कॉलेज को अभी तक 300 सीटों का नुकसान उठाना पड़ रहा है. वहीं सीमांत के छात्र जो पिथौरागढ़ से ही इंजीनियरिंग कॉलेज की पढ़ाई करना चाहते थे, उन्हें भी इस तरह की अव्यवस्था का शिकार होना पड़ा है.
कॉलेज की शिक्षा व्यवस्था पर सीधे सवाल?
कॉलेज में एडमिशन की स्थिति अभी तक स्पष्ट न होने के कारण छात्र दूसरी जगह एडमिशन लेने को मजबूर हैं. सीमांत के छात्रों के हितों को ध्यान में रखकर बनाया गया इंजीनियरिंग कॉलेज विवादों से बाहर ही नहीं निकल पाया है.जिससे छात्र और क्वालिफाइड प्रोफेसर दोनों परेशान हैं, जो पिथौरागढ़ जिले की शिक्षा व्यवस्था पर सीधे सवाल खड़े करता है.