05/10/2022. उत्तरकाशी. उत्तराखंड के ‘द्रौपदी का डांडा II’ पर्वत श्रृंखला में फंसे पर्वतारोहियों के समूह को बचाने में संयुक्त बचाव अभियान जोरों पर है. इस दल में कुल 61 सदस्य थे जिसमें से 25 से 27 लोग लापता हैं. बचाव दल ने बुधवार को 14 पर्वतारोहियों को बचाया. उनका कहना है कि तूफान और हिमस्खलन इतना तेज था कि किसी को बचने का मौका नहीं मिल सका. अब भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल बचे लोगों की तलाश में है. बारिश की वजह से कल राहत बचाव कार्य रोकना पड़ा था, लेकिन आज मौसम ठीक है.
उत्तरकाशी (Uttarkashi) हादसे में ITBP का राहत और बचाव अभियान 7 दिनों तक चल सकता है. यह जानकारी आईटीबीपी TT के प्रवक्ता विवेक पांडे ने दी. उन्होंने कहा कि हादसे वाले स्थान की ऊंचाई 17,000 फीट है और हमने ITBP के पर्वतारोहियों की टीम भेजी है. हमारी टीम वहां तक पहुंचने वाली है. शाम तक मौत की पुष्टि हो सकती है. 14 लोग घायल हुए हैं उन्हें हेलीपैड से मातली लाया गया है. घायलों में कोई भी स्ट्रेचर पर नहीं था लेकिन सभी का इलाज जिला अस्पताल में चल रहा है. उत्तर काशी के नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (NIM) के 61 पर्वतारोहियों की टीम द्रौपदी का डांडा पीक को फतह कर वापस लौट रही थी कि वह हिमस्खलन में फंस गई थी.
मृतक और लापता लोगों की सही संख्या अभी मालूम नहीं
प्रवक्ता विवेक पांडे ने कहा कि बर्फ के तूफान होने की वजह से अफरा-तफरी मची थी. लापता लोगों की संख्या और मृतकों की सही संख्या का पता एक बार हमारी टीम के पहुंचने के बाद लगेगा. हम वहां एडवांस कैंप बनाने की तैयारी में हैं ताकि वहां हेलीकॉप्टर भी लैंड कर सकें. अभी हम 13 हजार फीट की ऊंचाई पर लैंड करते हैं. अगर हमें जगह मिली तो 15 हजार फीट पर लैंड करने की तैयारी में हैं. हालांकि एक संचार स्टेशन हमने वहां बनाया है जिससे संपर्क में है. उन्होंने कहा कि बारिश की वजह से कल राहत बचाव कार्य रोकना पड़ा था, लेकिन आज मौसम ठीक है. लेकिन मौसम कभी भी खराब होता रहता है. क्योंकि ऊंचाई अधिक है. अगर बर्फ गिरती है तो राहत और बचाव कार्य में बाधा पैदा होगी.