29/10/2022, पिथौरागढ़ : सीमांत जिले पिथौरागढ़ में एक दशक पूर्व हुई नील क्रांति अब धीरे धीरे सफल होती दिख रही है। जिले भर में 700 से अधिक परिवार मछली उत्पादन कर रहे हैं, जिले में वार्षिक उत्पादन 35 टन से ऊपर चला गया है। ठंडे पानी में पैदा होने वाली जिले की ट्राउड मछली दिल्ली और बेंगलुरू के फाइव स्टार होटलाें में परोसी जा रही है।
एक दशक पूर्व शुरू हुआ था मत्स्य पालन
जिले में एक दशक पूर्व मत्स्य पालन की शुरुआत की गई थी। शुरुआती वर्षों में इक्का दुक्का परिवार ही इसके लिए आगे आए। सरकार की मनरेगा, बीएडीपी जैसी योजनाओं को मत्स्य पालन योजनाओं के साथ जोड़ने के बाद इसके शानदार परिणाम सामने आए हैं। इन योजनाओं से ग्रामीणों के लिए मत्स्य तालाब बनाए जा रहे हैं और मत्स्य पालन विभाग ग्रामीणों को मत्स्य बीज उपलब्ध कराने के साथ ही तकनीकी सलाह दे रहा है।
डुंगरी, कालिका, गुरना में होता है बहुतायत उत्पादन
जिले में इस समय 700 परिवार मत्स्य पालन से जुड़ चुके हैं। इनमें अधिकांश युवा ग्रामीण हैं। डुंगरी, कालिका, गुरना आदि ऐसे क्षेत्र हैं जिन्होंने मत्स्य पालन में नई इबारत लिखी हे। डुंगरी गांव जिले में मत्स्य पालन का माडल विलेज बन चुका है। गांव के लगभग सभी परिवार मत्स्य पालन से जुड़े हैं। जिले में ठंडे पानी में मछली का उत्पादन होता है। जिसकी बाजार में भारी मांग है। जिले के कई मत्स्य पालक बंगलौर और दिल्ली के फाइव स्टार होटलों तक मछलियां भेज रहे हैं।