गौरव उपाध्याय, पिथौरागढ समाचार।
पिथौरागढ़। मुख्यालय से 67 किलोमीटर की दूरी पर पांखू मे स्थित न्याय की देवी कोटगाड़ी, कोकीला माता के नाम से विख्यात देश ही विदेशों मे है वैसे तो यंहा पर साल भर श्रद्बालु आते है पर नवरात्रि मे असंख्य संख्या मे श्रद्बालु पहुंचते है। मान्यता है कि यंहा पर जर, जोरु, जमीन का त्वरित गति से न्याय मिलता है।कोटगाड़ी का अभिप्राय ये है कि पूर्व मे यंहा पर माँ का कोर्ट लगता था और वो फैसले देती थी, अंग्रेज भी माँ के प्रति श्रद्धा रखते थे उनके द्बारा माँ के नाम की पेंशन भेजी जाती थी और स्वत्रंता के बाद भी भारत सरकार से माँ के नाम की पेंशन यंहा भेजी जाती थी, बाद मे कोई मनीआर्डर नहीं लेता था जिसकी वजह से पेंशन आना बंद हो गया।
कहते है कि जिसे आज की अदालत मे न्याय नहीं मिलता वो पीड़ित लोग जर, जोरु, जमीन का न्याय मांगने के लिए माता के दरबार मे अपनी अर्जी लिखकर टांग जाते है। जंहा लोगों को न्याय मिलता है, मनोकामनाएं पूरी होने पर माँ के दरबार मे पूजा अर्चना करने आता है। माता के दरबार मे बलि नहीं होती है। भुवन चंद्र पाठक पुजारी ने बताया कोर्ट से भी बड़ी मान्यता यंहा की है चंद राजाओं के समय दरबार की स्थापना हुई थी यंहा पर माता का रात को शयन के लिए बिस्तर लगाया जाता है जो सबह सिमटा मिलता है।यंहा पर जर,जोरु, जमीन का तुरंत फैसला होता है।बाबा योगानंद महाराज ने बताया जिस जल कुंड से माता का स्नान किया जाता है किवदंती है कि वो मानसरोवर से आता है,माँ की शक्ति से जलकुंड का जल विषैला हो गया कुंड मे अन्य लोगों का प्रवेश निषेध है,पुजारी ही जलकुंड मे जाकर पानी लेकर माँ का स्नान कराता है।जल भी माँ की शक्ति से ही जल प्रकट हुआ है कोर्ट की मान्यता सुप्रीम कोर्ट से भी ज्यादा है,न्याय की देवी के रुप मे माता को माना जाता है,अंग्रेजों से भी माता ने लोहा लिया था जिस कारण माता को अंग्रेज पेंशन भेजते थे मानसखणड मे इस स्थान का विवरण है।