पिथौरागढ़: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में सर्दियों के शुरू होने के साथ ही लगने वाले ऐतिहासिक शरदोत्सव मेले (Sharadotsav Pithoragarh) की शुरुआत हो गई है. राज्य सरकार के सहयोग से चलने वाले इस मेले का शुभारंभ सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) ने किया. इस साल पूरे एक हफ्ते यह मेला चलने वाला है. इस मेले की सबसे खास बात यह है कि यहां स्थानीय संस्कृति और भारत-नेपाल की मिश्रित सभ्यता के रंग देखने को मिलते हैं.
शरदोत्सव में स्थानीय उत्पादों की खूब बिक्री होती है. इस मेले का आयोजन पिछले कई दशकों से शहर के सबसे बड़े मेले के रूप में होता आया है, जहां दुकान लगाने के लिए भारत के अनेक राज्यों से लोग पहुंचते हैं. शहरवासियों के लिए यह मनोरंजन का मुख्य केंद्र होता है. मेले का उद्घाटन करने पिथौरागढ़ पहुंचे मुख्यमंत्री धामी ने शहर में अनेकों विकास कार्यों का शिलान्यास करते हुए स्थानीय उत्पादों से सजे बाजार का निरीक्षण किया और स्थानीय संस्कृति को आगे बढ़ाने के मकसद से होने वाले शरदोत्सव मेले को और भव्य बनाने की बात कही.
शरदोत्सव मेले में अगले सात दिनों तक सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम रहेगी, जिससे पिथौरागढ़ के स्थानीय कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का एक मंच मिलेगा. स्थानीय भाषा में होने वाले कार्यक्रमों से लोग अपनी संस्कृति से रूबरू होते हैं. स्थानीय लोगों ने भविष्य में बार-बार शरदोत्सव मेले का आयोजन करने की बात कही, जिससे पहाड़ की संस्कृति देश और दुनिया के कोने-कोने तक पहुंच सके.
गौरतलब है कि पहाड़ों में पुराने समय से ही मेले जनमिलन के प्रतीक के रूप में देखे जाते रहे हैं. यह वो मौका होता है जब लोग मेले के बहाने मेल-मुलाकात करते हैं, परिवार के साथ बेहतर समय बिताते हैं और इस अवसर का भरपूर लुत्फ उठाते हैं.शरदोत्सव जैसे मेले पहाड़ की संस्कृति को जीवंत रखने का काम भी करते हैं.