पिथौरागढ़। मई माह की शुरुआत हो चुकी है और एक माह बाद बारिश की शुरुआत हो सकती है। जिसके चलते पिथौरागढ़ में सीमांत में रहने वाले लोगों मूलभूत सुविधाओं के लिए भी दो चार होना पड़ता है।
घाट-पिथौरागढ़ सड़क बंद होने से सीमांत जिले में कालापानी जैसे हालात पैदा हो जाते हैं। सड़क बंद होने से पिथौरागढ़ से लेकर धारचूला तक लगभग आधा सीमांत जिला पूरी तरह से अलग-थलग पड़ जाता है। दूध, सब्जी, रसोई गैस, डीजल-पेट्रोल तक की आपूर्ति पूरी तरह से ठप हो जाती है। आपात स्थिति में थल-मुवानी-बेड़ीनाग-सेराघाट सड़क ही उम्मीद रहती है लेकिन इस सड़क के भी बंद होने पर पांच लाख से अधिक की आबादी के पास यातायात का कोई विकल्प नहीं रहता है।घाट से लेकर पिथौरागढ़ तक दिल्ली बैंड, चुपकोट बैंड और गुरना के पास तक एक दर्जन स्थान ऐसे हैं जहां पर पहाड़ी से भूस्खलन का खतरा बना रहता है। यह पहाड़ियों इतनी संवेदनशील हैं कि एक बार भूस्खलन होने पर सैकड़ों टन मलबा सड़क पर आ जाता है। ऐसे में सड़क खुलने में एक से लेकर तीन दिन तक लग जाते हैं।
बारहमासी सड़क के बंद होने की स्थिति में सेराघाट सड़क ही आवाजाही का एकमात्र विकल्प रहता है लेकिन जिले की आधी से अधिक की आबादी केवल आपात स्थिति में ही इस सड़क का उपयोग करती है क्योंकि इस सड़क मार्ग से 100 किमी का अतिरिक्त फेरा लगाकर गंतव्य तक पहुंचना पड़ता है।
Narendra Singh
संपादक