26/10/2022, पिथौरागढ़: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में लिंगानुपात की स्थिति सामान्य नहीं हो सकी हैं. यहां अभी भी बेटियों के पैदा होने की संख्या का अनुपात कम ही है, जो भविष्य के लिए चिंताजनक है. पिथौरागढ़ में 2021 में बच्चों के पैदा होने के आंकड़ों पर अगर नजर डालें, तो प्रति 1000 लड़कों की तुलना में 907 लड़कियों ने जन्म लिया था. वहीं, इस साल अप्रैल से सितंबर तक यह संख्या 877 है, जिससे पता चलता है कि जिले में लिंगानुपात अभी सामान्य नहीं हो पाया है. जबकि सरकार इसे बढ़ाने के लिए काफी प्रयास कर रही है.
पिथौरागढ़ जिले के समाजसेवी मुकेश पंत ने इस विषय में चिंता जाहिर करते हुए कहा कि लिंगानुपात में कमी के दो ही कारण हो सकते हैं. या तो बेटियां ही कम पैदा हो रही हैं या कहीं न कहीं लोग उन्हें अपनाना नहीं चाह रहे हैं, जो भविष्य के लिए चिंताजनक स्थिति है. साथ ही उन्होंने लिंगानुपात में आ रही कमी के अन्य कारणों की गहनता से जांच करने के साथ ही बर्थ रेट को बराबरी में लाने की ओर ध्यान देने की बात कही है.
पिथौरागढ़ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एचएस ह्यांकी ने जानकारी देते हुए बताया कि जिले में पिछले साल 2987 लड़कों और 2709 लड़कियों ने यहां अस्पताल में जन्म लिया. वहीं, इस साल अप्रैल से सितंबर तक 1201 लड़के और 1054 लड़कियों ने जन्म लिया है. जिले में इस साल अब तक 26 नवजातों की मौत हो चुकी है, जिसमें से 14 लड़कियां थीं. वहीं, कुल 937 बच्चे इस साल अभी तक दुनिया को अलविदा कह चुके हैं, जिसमें से 382 लड़कियों शामिल हैं.
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि गर्भ में लिंग का पता लगाना अपराध है और जिले के सभी अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर विशेष नजर रखी जा रही है, ताकि गर्भपात से जुड़े मामलों पर दोषियों को सजा मिल सके. फिलहाल जिले में अभी ऐसा कोई मामला नहीं आया है. स्वास्थ्य विभाग की टीमें गांव-गांव जाकर लोगों को इस विषय पर जागरूक कर रही हैं और बेटियों को बचाने के साथ पढ़ाने पर विशेष ध्यान देने की अपील कर रही हैं.