पिथौरागढ़. अफसरशाही गरीब इंसान पर कैसे भारी पड़ती है, इसका जीता-जागता नमूना देखने को मिला है उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में, जहां एक टैक्सी मालिक को उसकी जीप सीज होने के 8 साल बाद हाईकोर्ट के आदेश पर मिल पाई. न्यूज़ 18 के मुताबिक हाईकोर्ट के दखल देने पर भले ही उसे जीप मिल गई हो, लेकिन मुआवजे के लिए उसे अभी भी दर-बदर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं. पिथौरागढ़ की बॉर्डर तहसील मुनस्यारी के धरम सिंह बीते 8 सालों से संकट में हैं. असल में इस संकट का आगाज तब हुआ, जब मुनस्यारी के तत्कालीन एसडीएम जयभारत सिंह ने धरम सिंह की गाड़ी सीज कर दी.
लाख कोशिशों के बाद भी धरम सिंह अपनी गाड़ी नहीं छुड़वा पाए. आखिरकार उत्तराखंड हाईकोर्ट ने इसी साल 7 जनवरी को कार लौटाने का आदेश जारी किया. हाईकोर्ट ने गाड़ी लौटाने के साथ ही तत्कालीन एसडीएम जयभारत सिंह से 5 लाख का मुआवजा पीड़ित को देने का आदेश भी दिया था. कोर्ट ने एसडीएम से पैसे लेने का जिम्मा पिथौरागढ़ प्रशासन को दिया है लेकिन कोर्ट के आदेश के बावजूद धरम सिंह को अभी तक भी मुआवजा नहीं मिल पाया है. धरम सिंह ने अपनी समस्या बताते हुए कहा कि वह अपने परिवार का पेट पत्थर तोड़करपाल रहा है.
कोर्ट ने 30 दिन के भीतर मुआवजा दिलवाने का आदेश जारी किया था लेकिन कलेक्ट्रेट के लाख चक्कर काटने के बाद भी कोर्ट के आदेश पर अमल नहीं हो पाया है. वहीं कोर्ट के आदेश पर प्रशासन ने जो जीप धरम सिंह को लौटाई है, वह 8 सालों में पूरी तरह जंग खा चुकी है. यही नहीं तब दो लाख के कर्जे में ली गई गाड़ी का लोन अब ब्याज के साथ चार लाख रुपये पार कर चुका है.
इस मामले में जब पिथौरागढ़ के अपर जिलाधिकारी फिंचाराम चौहान से सवाल किया गया, तो उन्होंने बताया कि तत्कालीन एसडीएम फिलहाल ऊधमसिंह नगर में तैनात हैं. ऐसे में ऊधमसिंह नगर के जिलाधिकारी और शासन को इस बारे भी अवगत कराया जा चुका है.
डीएम ऊधमसिंह नगर और शासन इस बारे में क्या फैसला लेंगे, यह तो वक्त बताएगा, लेकिन इतना जरूर है कि 8 साल की लंबी जद्दोजहद और हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी धरम सिंह को आधा-अधूरा ही न्याय मिल पाया है.