पिथौरागढ़ जिले में वर्षों से गायब डॉक्टरों ने स्वास्थ्य विभाग के साथ मरीजों की दिक्कत बढ़ाई है। जिले भर के अस्पतालों में तैनात 18 चिकित्सक वर्षों से लापता हैं। चिकित्सकों ने अस्पतालों में तैनाती ली और दोबारा लौटकर नहीं आए।
पहले से ही चिकित्सकों की कमी से जूझ रहे पिथौरागढ़ जिले में वर्षों से गायब डॉक्टरों ने स्वास्थ्य विभाग के साथ मरीजों की दिक्कत बढ़ाई है। जिले भर के अस्पतालों में तैनात 18 चिकित्सक वर्षों से लापता हैं। चिकित्सकों ने अस्पतालों में तैनाती ली और दोबारा लौटकर नहीं आए। कागजों में तैनात लेकिन अस्पतालों से गायब चिकित्सकों के इस कारनामे से नई नियुक्ति का रास्ता भी बंद है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार जिले भर के अस्पतालों में 18 चिकित्सक वर्षों से गायब हैं, इनमें विशेषज्ञ भी शामिल हैं। नियुक्ति के बाद इन चिकित्सकों ने जिले में तैनाती ली और दोबारा लौटकर नहीं आए। विभाग के पास भी इन्हें दस्तावेजों में अनुपस्थित दिखाने के अलावा दूसरा विकल्प नहीं है। नियमों के मुताबिक दस्तावेजों में इनकी तैनाती से पदों को रिक्त नहीं माना जा सकता। ऐसे में गायब चिकित्सकों की जगह नए चिकित्सकों की नियुक्ति असंभव है और विभाग के लिए इनकी कमी को पूरा करना किसी चुनौती से कम नहीं है।
पिथौरागढ़ जिले में 93 बांडधारी चिकित्सकों की तैनाती की गई है। विभाग के मुताबिक 24 बांडधारी चिकित्सक साल में सिर्फ दो या तीन महीने ही अस्पतालों में सेवा देने पहुंच रहे हैं। नियमों के मुताबिक जितने दिन बांडधारी चिकित्सक सेवा देगा उसे उतने ही वेतन का भुगतान होगा। अनुबंध खत्म होने तक उन्हें पद से हटाया भी नहीं जा सकता। ऐसे में विभाग के लिए बांडधारी चिकित्सकों की मनमानी सहने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। स्वास्थ्य विभाग ने गायब चिकित्सकों को अपने कार्यस्थल पर लौटने के लिए कई बार नोटिस जारी किया, लेकिन कोई हल नहीं निकला। थक-हारकर विभाग ने गायब चिकित्सकों की सेवा समाप्ति के लिए शासन को पत्र भेजा ताकि यह पद रिक्त माने जा सकें और इन पर नई तैनाती हो सके। हैरानी है कि इस पर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है।