देहरादून। उत्तराखण्ड के सभी महाविद्यालयों को अब नैक मूल्यांकन अनिवार्य रूप से कराना होगा। इसके लिए सभी राजकीय एवं अशासकीय अनुदानित महाविद्यालयों को मार्च 2023 तक का समय दिया गया है और ऐसा न करने वाले महाविद्यालयों की मान्यता रद्द कर दी जायेगी। ऐसा नहीं करने पर संबंधित प्राचार्य के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह कहना है उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत का। मंत्री ने सचिवालय में विभागीय समीक्षा बैठक में अधिकारियों को इसके निर्देश दिए। उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि गुणवत्तापरक शिक्षा के लिए महाविद्यालयों को कम से कम 180 दिन कक्षाएं चलानी होंगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप महाविद्यालयों में ग्रीन कैंपस, तंबाकू मुक्त कैंपस बनाने के लिए समितियों का गठन करने के साथ ही एनसीसी, एनएसएस एवं रोवर रेंजर की इकाई स्थापित की जाएंगी। इसके साथ ही छात्र-छात्राओं की डिजीटल हेल्थ आईडी बनेगी और उनके ब्लड ग्रुप की जांच महाविद्यालय स्तर पर की जाएगी।
मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद के सहयोग से दिसंबर में विभिन्न जिलों में पांच सेमिनार आयोजित किए जाएंगे। जहां नैक मूल्यांकन के लिए आवश्यक जानकारी दी जाएगी ताकि नैक मूल्यांकन में महाविद्यालयों को सहूलियत हो सके। बैठक में विभागीय मंत्री ने राजकीय एवं अशासकीय महाविद्यालयों के प्राचार्यों को एंटी ड्रग्स सेल का गठन करने के साथ ही महाविद्यालयों में एनएसएस, एनसीसी एवं रोवर्स रेंजर की इकाईयां स्थापित करने व शिक्षकों एवं कार्मिकों के साथ ही छात्र-छात्राओं की भी बायोमैट्रिक उपस्थिति लिए जाने के निर्देश दिए।
Narendra Singh
संपादक