नई दिल्ली। महाराष्ट्र के पुणे में बीते दिनों नदी किनारे तीन बच्चों समेत सात लोगों के शव मिलने के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। इसे लेकर पहले पुलिस ने बताया था कि परिवार आर्थिक तंगी में था, इसलिए मामला आत्महत्या का लग रहा है। लेकिन बुधवार को साफ हो गया कि यह आत्महत्या नहीं, बल्कि हत्या का मामला है। छानबीन के बाद पुलिस का कहना है कि परिवार के सदस्यों ने आत्महत्या नहीं की थी, पुरानी रंजिश के चलते उनका मर्डर हुआ था। पुलिस ने मामले में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पुणे के दौंड परिसर के भीमा नदी में 18 जनवरी से 22 जनवरी के बीच यह शव मिले थे। इसमें दो शव पुरुषों के, दो महिलाओं के और तीन शव बच्चों के थे। शवों की पहचान मोहन उत्तम पवार (उम्र 45), उनकी पत्नी संगीता उर्फ शाहबाई मोहन पवार (उम्र 40), उनके दामाद शाम पंडित फलवारे (उम्र 28), बेटी रानी शाम फलवारे (उम्र 24), नाटू रितेश उर्फ भैय्या शाम फलवारे (उम्र 7), छोटू शाम फलवारे (उम्र 5) और कृष्ण शाम फलवारे (आयु 3) के रूप में हुई है। ये सभी हटोला, जिला वाशी, जिला धाराशिव के निवासी हैं। मृतकों में एक मोहन पवार का बेटा अमोल पवार तीन महीने पहले अपने मौसेरे भाई धनंजय पवार के साथ अपनी ससुराल पेरने फाटा गया था। वहां से घर लौटते समय उनका एक्सीडेंट हो गया था। इस हादसे में धनंजय पवार की मौत हो गई, जबकि अमोल पवार बाल-बाल बच गए। इससे धनंजय के परिवार को शक हुआ कि धनंजय की हत्या की गई है। धनंजय के परिवार को शक था कि मोहन पवार के परिवार ने धनंजय पर करणी, काला जादू किया है और उसकी हत्या कर दी है। इसी शक के चलते धनंजय के परिवार ने मोहन पवार और उसके परिवार को भीमा नदी पर रोक लिया और तीन बच्चों समेत सात लोगों को नदी में फेंक दिया, जिससे सभी की मौत हो गई।