पिथौरागढ़. पहाड़ों में महिलाओं के समूह यहां नारी शक्ति की आर्थिक स्थिति को सुधारने के साथ-साथ आत्मनिर्भर बनाने का काम कर रहे हैं. जबकि घरों की दहलीज से निकलकर महिलाओं ने अपनी प्रतिभाओं को निखारा है. हम बात कर रहे हैं उन पहाड़ी महिलाओं के बारे में, जो शहर के बीच में एक शानदार कैफे चला रही हैं. दरअसल आज ‘टकाना टीस’ अपनी विशेष पहचान बना चुका है.
पिथौरागढ़ के टकाना में स्थित सरस बाजार में महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए प्रशासन ने दो साल पहले कैफे संचालन के लिए प्रेरित किया था. इसका असर यह हुआ कि आज पांच महिलाएं इस कैफे का संचालन कर रही हैं. तमाम लोग शांतिपूर्ण माहौल में अपने परिवार और दोस्तों के साथ इस कैफे में लजीज पकवानों का स्वाद लेने पहुंचते हैं. इसके अलावा यहां महिलाओं द्वारा पहाड़ी सभ्यता की थीम पर बनाई गई अलग-अलग चीजें भी लोग खरीद और देख सकते हैं.
लोग भी कैफे के माहौल से काफी खुश नजर आते हैं. उनका कहना है कि शहर के बीच में स्थित इस टकाना टीस कैफे में समय बिताना उन्हें काफी अच्छा लगता है. वहीं, कैफे में अपने परिवार के साथ आए शंकर सामंत बताते हैं कि महिलाओं द्वारा शहर के लोगों को एक बेहतर माहौल देने का प्रयास काफी सराहनीय है, जिससे अन्य पहाड़ की महिलाओं को भी प्रेरणा लेने की जरूरत है.
ऐसे बनी महिलाओं की अपनी पहचान
बता दें कि टकाना में स्थित पिथौरागढ़ के सरस बाजार में आजीविका परियोजना के तहत संचालित महिला समूहों के उत्पादों की बिक्री का आउटलेट भी है. इसी में टकाना टीस नाम से यह कैफे भी खोला गया है.
कैफे की संचालिका ज्योति धामी ने बताया कि पहाड़ की महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने ‘सोर संस्कृति’ नाम से एक समूह की शुरुआत की और कैफे का संचालन भी शुरू किया. उनके साथ भोजन बनाने और सर्विस के लिए पांच महिलाएं इस कैफे में काम करती हैं. कैफे की कुक कविता जोशी ने बताया कि उन्हें समूह से जुड़कर काफी कुछ सीखने को मिला है. कैफे आकर उन्हें काफी अच्छा महसूस होता है.