उत्तराखंड में जोशीमठ की घटना से सहमे दारमा घाटी के लोग अब बोकांग बालिंग जल विद्युत परियोजना के विरोध में उतर आए हैं। उन्होंने ग्राम पंचायत गो घाटीबगड़ में प्रदर्शन कर प्रस्तावित परियोजना के विरोध का एलान किया है। दारमा संघर्ष समिति के अध्यक्ष पूरन सिंह ग्वाल ने कहा कि दारमा घाटी के कई गांव पहले से ही आपदा की मार झेल रहे हैं। ऐसे में टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड की ओर से 165 मेगावाट की प्रस्तावित बोकांग बालिंग जल विद्युत परियोजना के बनने से घाटी में आपदा का खतरा और बढ़ जाएगा। जोशीमठ के हालात देखते हुए सरकार को समय रहते ऐसी परियोजनाओं को बंद करना चाहिए, जो विनाश की बुनियाद पर विकास देते हों। ग्रामीणों ने कहा कि दारमा के ढांकर गांव में बनी 15 मीटर टनल के कार्य को माइग्रेशन में जाने के बाद रोका जाएगा। अब किसी भी हाल में इस परियोजना का विरोध किया जाएगा। इस मौके पर बीडीसी सदस्य मनोज ग्वाल, अमर बनग्याल, धीरा ग्वाल, इंद्र ग्वाल, मनोज नगन्याल, दिनेश चलाल, भजन ग्वाल, विक्रम ग्वाल सहित कई लोग मौजूद रहे। वही धारचूला विधायक हरीश धामी धारचूला और मुनस्यारी को बचाने की मांग को लेकर 19 जनवरी को एसडीएम कार्यालय धारचूला में उपवास करेंगे। विधायक ने गांधीगीरी का रास्ता अपनाते हुए सीएम से भी आग्रह किया है कि भविष्य में होने वाले नुकसान से बचने के लिए अभी से इन क्षेत्रों में काम करने की जरूरत है।विधायक हरीश धामी का कहना है कि धारचूला और मुनस्यारी में भी जोशीमठ के जैसे हालात दिख रहे हैं। मुनस्यारी, धारचूला, मल्ला जोहार, दारमा, चौदास, व्यास के साथ ही काली, गोरी और रामगंगा नदी के किनारे बसे तमाम गांवों की स्थिति भविष्य में जोशीमठ जैसी हो सकती है। उन्होंने कहा कि कि सरकार का ध्यान धारचूला और मुनस्यारी की ओर खींचने के लिए वह 19 जनवरी को एसडीएम कार्यालय में उपवास करेंगे। उन्होंने सरकार से धारचूला और मुनस्यारी को बचाने की अपील की है।