पिथौरागढ़। नगर के घंटाकरण में देवलसमेत देवता और देवी के डोलों के मिलन के साथ सोरघाटी का प्रमुख चैतोल पर्व सम्पन्न हो गया। पर्व के समापन मौके पर खासी संख्या में भक्तजन उमड़े और आशीर्वाद प्राप्त किया। बृहस्पतिवार को सोर क्षेत्र में आयोजित चैतोल पर्व के दूसरे दिन बिण के तपस्यूड़ा मंदिर से देवछत्र निकला। छत्र के साथ भारी संख्या में ग्रामीण ध्वज, पताकाओं को लेकर ढोल-नगाड़ों के साथ चल रहे थे। सभी गांवों में देवलसमेत की पूजा-अर्चना की गई और गांवों में निकले डोलों और छत्र का मिलन हुआ। इसे भाई.बहन का मिलन माना जाता है। ग्रामीण देवछत्र के साथ जुड़ते रहे। दोपहर बाद गांवों में घूमने के उपरांत छत्र तपस्यूड़ा लौटा। यहां पर मध्याह्न स्नान के बाद भोजन की व्यवस्था हुई। शाम को यहां पर फिर अनुष्ठान हुए और देवडांगर में देवता का अवतरण हुआ। फिर देवता का डोला निकला। बिण चैसर से निकला डोला कुमौड़ और जाखनी पहुंचा। गांव के मंदिर में पारंपरिक पूजा हुई। यहां पर देवडांगरों में देवता अवतरित हुए। बाद में डोला कुमौड़ से तल्ली मल्ली जाखनी पहुंचा। जाखनी से डोला नगर के मध्य सिल्थाम होते हुए सायं को घंटाकरण स्थित शिव मंदिर के पास पहुंचे। इससे पूर्व नगर के लिंठ्यूड़ा गांव में मां भगवती की पारंपरिक ढंग से पूजा अर्चना हुई। शाम को गांव से देवी का डोला घंटाकरण के लिए निकला। बिण चैसर और जाखनी से डोलों के पहुंचते ही तीनों डोलों का मिलन हुआ। भाई और बहन आपस में गले मिले। मिलन के बाद लिंठ्यूड़ा, बिण, जाखनी के डोले भी अपने गांव लौटे।
Narendra Singh
संपादक